12 अप्रैल, 2022
विषय: राज्य के लिए गौरव
महत्व: हिमाचल एचपीएएस प्रारंभिक परीक्षा
खबर क्या है?
- ऊना जिले को मिलेगा राष्ट्रीय दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तीकरण पुरस्कार।
किस योजना के तहत?
- दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तीकरण में हिमाचल प्रदेश के ऊना जिला को प्रदेश में पहला पुरस्कार मिलेगा। पंचायती राज दिवस पर 24 अप्रैल को जम्मू के पाली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह पुरस्कार देंगे। किस योजना के तहत?
- पंचायती राज मंत्रालय ने देशभर में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली पंचायतों के लिए वर्ष 2022 के पुरस्कारों की घोषणा की है। इसमें दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तीकरण में हिमाचल प्रदेश के ऊना जिला को प्रदेश में पहला पुरस्कार मिलेगा। पंचायती राज दिवस पर 24 अप्रैल को जम्मू के पाली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह पुरस्कार देंगे।
यह कैसे विभाजित हुआ?
- राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कारों को चार श्रेणियों में बांटा गया है। दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तीकरण, नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार, ग्राम पंचायत विकास योजना पुरस्कार और बाल हितैषी ग्राम पंचायत पुरस्कार शामिल हैं।
हिमाचल के अन्य जिले?
- ग्राम पंचायत विकास योजना पुरस्कार के लिए मंडी के सुंदरनगर ब्लॉक की चामुखा पंचायत का चयन हुआ है। नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार कांगड़ा के बैजनाथ की घोड़पीठ पंचायत को मिलेगा। हमीरपुर की दड़ूही पंचायत को बाल हितैषी ग्राम पंचायत पुरस्कार दिया जाएगा। बिलासपुर सदर खंड के अधीक्षक मनमोहन ने बताया कि ग्राम पंचायत से लेकर जिला परिषद तक सभी को इन पुरस्कारों के लिए चुना जाता है। जमीनी स्तर पर अपने-अपने कार्यक्षेत्र में काम करने के 12 पन्नों के मानक तय किए हैं।
पंचायती राज दिवस के बारे में:
- राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस भारत में पंचायती राज व्यवस्था का राष्ट्रीय दिवस है जिसे पंचायती राज मंत्रालय द्वारा प्रतिवर्ष 24 अप्रैल को मनाया जाता है। तब भारत के प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने 24 अप्रैल 2010 को पहला राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस घोषित किया था।
24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस क्यों?
- संविधान (73वां संशोधन) अधिनियम, 1992, जो 24 अप्रैल, 1993 से लागू हुआ, ने पंचायती राज संस्थाओं का संवैधानिक दर्जा निहित कर दिया है। इस प्रकार, यह तारीख जमीनी स्तर पर राजनीतिक सत्ता के विकेन्द्रीकरण के इतिहास में एक निर्णायक क्षण है।
(स्रोत: अमर उजाला)
विषय: पुरस्कार
महत्व: हिमाचल एचपीएएस प्रारंभिक परीक्षा
खबर क्या है?
- सिरमौर: पद्मश्री विद्यानंद सरैक और स्वर्गीय बाबा इकबाल सिंह को मिलेगा हिमाचल गौरव पुरस्कार
- प्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन ने देवठी मझगांव निवासी पद्मश्री विद्यानंद सरैक और कलगीधर ट्रस्ट के संस्थापक स्वर्गीय बाबा इकबाल सिंह को मरणोपरांत हिमाचल गौरव पुरस्कार के लिए नामित करने की अधिसूचना जारी की है।
- प्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन ने देवठी मझगांव निवासी पद्मश्री विद्यानंद सरैक और कलगीधर ट्रस्ट के संस्थापक स्वर्गीय बाबा इकबाल सिंह को मरणोपरांत हिमाचल गौरव पुरस्कार के लिए नामित करने की अधिसूचना जारी की है।
- यह सम्मान इन्हें 15 अप्रैल को चंबा में आयोजित हिमाचल दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की ओर से दिया जाएगा।
हिमाचल गौरव पुरस्कारों के बारे में:
हिमाचल गौरव पुरस्कार 1992 में शुरू किया गया था। जीवन के सभी क्षेत्रों में ‘सेक्स’ के व्यक्ति हिमाचल गौरव पुरस्कार के लिए पात्र हैं। सशस्त्र बलों, पुलिस बलों और मान्यता प्राप्त अग्निशमन सेवाओं आदि के सदस्य पुरस्कार के लिए पात्र हैं, बशर्ते कि जीवन रक्षक कार्य / वीरता कार्य उनके कर्तव्य के दौरान अन्यथा किया गया हो। यह पुरस्कार मरणोपरांत भी दिया जा सकता है। हिमाचल गौरव पुरस्कार से सम्मानित व्यक्ति/व्यक्तियों का समूह या तो हिमाचली होना चाहिए या हिमाचल प्रदेश में/के लिए सराहनीय कार्य किया गया हो।
(स्रोत: अमर उजाला)
विषय: ई-गवर्नेंस की ओर कदम
महत्व: हिमाचल एचपीएएस मेन्स
खबर क्या है?
- आईटी मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा ने कहा कि प्रदेश की सभी पंचायतों के साथ सीनियर सेकेंडरी स्कूल तथा अस्पताल वाई-फाई सुविधा से जुडे़ंगे। इसके लिए केंद्रीय मंत्री ने उत्तराखंड व जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर हिमाचल प्रदेश में भी शत प्रतिशत बजट केंद्र द्वारा जारी करने की हामी भरी है।
- अब हिमाचल प्रदेश की पंचायतें वाई-फाई सुविधा से जुड़ने जा रही हैं। हालांकि भारत नेटवर्क के तहत सूबे के लिए 1800 करोड़ 2018 में मंजूर हो गए थे, लेकिन इसमें 50 फीसदी बजट केंद्र सरकार और 50 प्रतिशत प्रदेश सरकार को खर्च करना था।
(स्रोत: अमर उजाला)
कुछ और खबरें:
- हिमाचल प्रदेश भाषा, कला और संस्कृति विभाग के सहयोग से, दैनिक जागरण समाचार पत्र ने आज शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थिएटर में बज़्म-ए-मुशायरा का आयोजन किया। इस अवसर पर राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
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