2 अप्रैल, 2022
विषय: शिक्षा
महत्व: हिमाचल एचपीएएस प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा
खबर क्या है?
- हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (HPU) ने विकलांग छात्रों के सभी वैधानिक अधिकारों को शामिल करते हुए एक व्यापक नीति दस्तावेज तैयार किया है।
- नीति दस्तावेज “विकलांग व्यक्तियों के लिए समान अवसर नीति” विकलांग छात्रों के गैर-भेदभाव और पूर्ण सशक्तिकरण पर जोर देती है और विकलांग छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए एक शिकायत निवारण प्रकोष्ठ की स्थापना की भी परिकल्पना करती है।
नीति कैसे मदद करेगी:
- नीति ऐसे शिक्षकों और कर्मचारियों को एक प्रमुख सुरक्षा प्रदान करती है, ताकि विकलांगता के कारण उनकी सेवाओं को कभी भी समाप्त नहीं किया जा सके।
- शिक्षा के अलावा, छात्र खेल, योग, पुस्तकालय, कोचिंग, कौशल विकास और मनोरंजक गतिविधियों में समान अवसर के हकदार होंगे। दस्तावेज़ में कहा गया है कि विश्वविद्यालय एक बाधा मुक्त वातावरण भी बनाएगा।
क्यों महत्वपूर्ण:
- एचपीयू दिल्ली के बाद इस तरह का नीति दस्तावेज तैयार करने वाला उत्तरी राज्यों का पहला विश्वविद्यालय बन गया है।
क्या कहती है नीति:
- नीति की सामग्री पर विस्तार से बताते हुए, विकलांगता मामलों के नोडल अधिकारी प्रो अजय श्रीवास्तव ने कहा कि हर साल हर विभाग में पूरी तरह से मुफ्त शिक्षा, मुफ्त छात्रावास, पीएचडी में एक अतिरिक्त सीट के अलावा सभी पाठ्यक्रमों में पांच प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। विकलांग छात्रों के लिए टॉकिंग सॉफ्टवेयर से लैस एक पूरी तरह से सुलभ पुस्तकालय।
- प्रो श्रीवास्तव ने कहा कि उन्हें प्रवेश के लिए ऊपरी आयु सीमा में पांच साल की छूट मिलेगी, जबकि दृष्टिबाधित छात्रों को ई-संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे। उन्होंने कहा कि नीति का उद्देश्य संचार और प्रारूपों के उपयुक्त संवर्धित वैकल्पिक मॉडल को बढ़ावा देना था, जिसमें टॉकिंग सॉफ्टवेयर वाले कंप्यूटर, बड़े प्रिंट, ब्रेल और भारतीय सांकेतिक भाषा शामिल हैं।
(स्रोत: एचपी ट्रिब्यून)
विषय: ई-गवर्नेंस
महत्व: हिमाचल मेन्स
खबर क्या है?
- हिमाचल सरकार का बड़ा फैसला: जमीन की रजिस्ट्री के तुरंत बाद अब खुद ऑनलाइन हो जाएगा इंतकाल
- राजस्व विभाग की वेबसाइट e.himbhoomi.nic.in पर यह सुविधा उपलब्ध है। नई व्यवस्था से लोगों को पटवारघरों व तहसील कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।
पिछला तरीका:
- पहले रजिस्ट्री की नकल लेकर पटवारी के पास इंतकाल दर्ज करवाने जाना पड़ता था। इसके बाद संबंधित पटवार सर्कल का दौरा कर तहसीलदार इंतकाल चढ़ाता था।
- इसके अलावा प्रदेश के लोग अब अपनी जमीन का पंजीकरण, निशानदेही, जमाबंदी, इंतकाल और चार्ज क्रिएशन/वीकेशन के लिए भी ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। इसके लिए भी पटवारघरों के चक्कर नहीं काटने होंगे।
- राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) की मदद से हिमाचल प्रदेश के राजस्व विभाग ने मेघ (मॉड्यूल अंडर ई गवर्नेंस टू हेल्प द सिटीजन) मॉड्यूल विकसित किया है।
यह कैसे मदद करेगा?
- इससे लोग घर बैठे मोबाइल से ऑनलाइन एक क्लिक पर खसरा नंबर डालकर आवेदन कर सकते हैं। रजिस्ट्री की नकल ऑनलाइन भी प्राप्त हो जाएगी। नई व्यवस्था शुरू होने के बाद राजस्व कार्यप्रणाली में पारदर्शिता आएगी। प्रदेश भू-अभिलेख निदेशक हंसराज चौहान ने बताया कि प्रदेश के 12 जिलों की 177 तहसीलों में यह सुविधा शुरू कर दी गई है।
- वित्त आयुक्त राजस्व ओंकार चंद शर्मा के मार्गदर्शन में मेघ प्रणाली से संबंधित मामलों की मानीटरिंग की जा रही है। मौजूदा समय में निदेशालय के प्रशासनिक अधिकारी (तहसीलदार) विक्रमजीत सिंह इस कार्य को प्रदेश भर में सुचारु रूप से संचालित कर रहे हैं।
जमाबंदी की अपडेशन ऑनलाइन होगी:
- मेघ-जमाबंदी के माध्यम से पटवारी जमाबंदी की अपडेशन अब ऑनलाइन रिकार्ड में दर्ज कर सकेंगे। लोग भी जमीन की नकल, ततीमा और शजरा नस्ब राजस्व रिकॉर्ड के अलावा भूमि के विवरण, पूरे गांवों का नक्शे सहित गांवों से जुड़े अन्य गांवों की जानकारी भी ऑनलाइन ले सकेंगे।
केसीसी संबंधित औपचारिकताएं बैंक में हो जाएंगी पूरी:
- मेघ प्रणाली से बैंकों को लॉग इन आईडी की सुविधा दी गई है। आवेदनकर्ता तहसील एवं पटवार सर्कल के चक्कर काटने के बजाय सीधे बैंक में जाकर केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) संबंधित औपचारिकताएं पूरी कर सकेंगे। बैंक के पास भी राजस्व रिकॉर्ड की जानकारी उपलब्ध रहेगी।
(स्रोत: अमर उजाला)
0 Comments