14 दिसंबर 2020
विषय: संस्कृति और विरासत
क्या खबर है?<
- प्रोजेक्ट चंबयाल, पारंपरिक चम्बा उत्पादों के प्रदर्शन और बिक्री के लिए है।
उद्देश्य:
- चंबा जिले के पारंपरिक उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचानना।
प्रचार के बारे में:
- उत्पादों की बिक्री और जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए पर्यटक स्थलों पर चंबा के रंग महल और डलहौजी हिल टाउन में प्रदर्शित किया जाएगा।
सम्मिलित लोग:
- स्थानीय पंचायतों से महिलाएं और स्वयंसेवक केंद्र को चलाएंगे, और इससे उन्हें आर्थिक लाभ में मदद मिलेगी।
(स्रोत: ट्रिब्यून एचपी)
विषय: हिमाचल कृषि और अर्थव्यवस्था
क्या खबर है?
- हिमाचल सरकार पारंपरिक लाल चावल को बढ़ावा देगी।
क्या योजना है?
- सरकार 3000 हेक्टेयर से अधिक भूमि इसकी खेती के अधीन लाएगी।
- वर्तमान में यह 1,100 हेक्टेयर भूमि पर उगाई जाती है, और कुल वार्षिक उत्पादन 9926 क्विंटल है।
- हिमाचल सरकार रेड राइस के लिए जीआई टैग प्राप्त करने की कोशिश भी कर रही है।
- सरकार के अनुसार लाल चावल लगभग 10,000 साल पुरातन सबसे प्राचीन फसल है।
खेती कहां की जाएगे?
- चिरगाँव, रोहड़ू और रामपुर और, शिमला, सिरमौर और चंबा जिलों की ऊँची पहाड़ियाँ पर और कांगड़ा के कुछ इलाकों में।
नोट: 2013 में, रेड राइस प्रोटेक्शन ऑफ़ प्लांट वैरायटी एंड फार्मर्स एक्ट 2001 के तहत पंजीकृत होने वाली राज्य की पहली फसल बन गई।
(स्रोत: ट्रिब्यून एचपी)
विषय: हिमाचल वन्यजीव
क्या खबर है?
- स्पीति के हर्लिंग गांव में सेरो नाम का हिमालयी मृग देखा गया है।
सेरो के बारे में:
- सेरो वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत दर्ज है और इसका शिकार निषिद्ध है
- IUCN ने इसे लुप्तप्राय प्रजातियों में भी सूचीबद्ध किया है।
पर्यावास:
- सेरो एक खतरे में पड़ी प्रजाति है, और ठंडे रेगिस्तान में पायी जाती है।
- इससे पहले यह ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क, कुल्लू और, चंबा जिले में भी देखा गया था।
(स्रोत: ट्रिब्यून एचपी)
विषय: हिमाचल कृषि
क्या खबर है?
- हिमाचल में काले गेहूं की खेती की जाएगी।
काला गेहूं क्या है?
- काला गेहूं कैंसर, मधुमेह और हृदय रोगों से बचाव में सहायक है।
- काले गेहूं में अन्य की तुलना में एंथोसायनिन की मात्रा अधिक होती है।
- एंथोसायनिन एक एंटी-ऑक्सीडेंट है तथा इसमें जस्ता (zinc) अधिक पाया जाता है।
- एंथोसायनिन वे रंगद्रव्य हैं जो लाल, बैंगनी और नीले पौधों को उनके समृद्ध रंग देते हैं।
खेती का क्षेत्र:
- ऊना के मैदानी इलाकों में इसका सफल परीक्षण किया गया है। अब अगला परीक्षण मंडी जिले के गोहर में अधिक ऊंचाई पर होगा।
इसमे कौन शामिल है?
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रो फूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट चंडीगढ़ तथा हिमाचल आयुर्वेदिक संस्थान जोगिंद्रनगर में शोध चल रहा है।
(स्रोत: अमरउजाला एचपी)
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